Skip to main content

Posts

भगवती लाल जी की कुल्फी

बचपन की बात, गर्मियों के दिन, दिन का समय और टन टन टन की आवाज़ | भले ही आप गहरी नींद में हो लेकिन हाथीपोल में तीसरी गली में भगवती लाल जी के ठेले से टन टन टन घंटी की आवाज़ से अच्छे अच्छे जग जाते थे |  जैसे ही पता लगता की भगवती लाल जी कुल्फी की लॉरी तीसरी गली तक पहुंच गयी है तो पैसे का जुगाड़ शुरू हो जाता था | बस सारे खाने खजाने खोज लो कही से 50 पैसे, 1 रुपया का इंतेज़ाम हो जाये और अगर 2  रूपये मिल जाये तो रबड़ी वाली कुल्फी का जैकपोट | इधर उधर ताको में आरियो में हारे-हमारे (तलाशना) शुरू | बहुत बार तो कोई पैसे दे देता तो बचाकर रखते ताकि दिन में भगवती लाल जी आये तो उस समय दुसरो का मुँह नहीं ताकना पड़े | अगर पैसे नहीं है तो दूसरा जुगाड़ शुरू | पहले मम्मी को पटाना, बाई को पटाना, ताऊजी को पटाना | फिर भी नहीं दे तो उनको उनके किसी काम को करने में सहायता का लालच देना की 1 रूपया दोगे तो आपका ये काम मै कर लूंगा वा खाली पचास पैसे दे दो पूरा काम कर लूंगा  |  बहुत बार कोई ना कोई जुगाड़ हो ही जाता | क्योकि कैसे भी करके भगवती लाल जी क़ी रेहड़ी तीसरी गली से हमारे घर तक पहुंचेगा तब तक कुछ न कुछ जुगाड़ करना ही बहुत ब

बचपन का प्रसाद

बचपन की बात है। मै जब हाथीपोल में रहता था। तो वहाँ पर मुझे मुफ्त में प्रसाद खाने का बहुत मौका मिलता था।  मेरे घर के पास 3 मंदिर थे। एक गणेश जी का, दूसरा शिवजी का औऱ तीसरा गुलाबेश्वर बावजी का।  तीन मंदिर और तीन अलग-अलग दिन। सोमवार को शिव मंदिर का नंबर था। बुधवार को पंचमुखी गणेश जी और रविवार को गुलाबेश्वर बावजी का। इन तीनो दिन लोगो की भीड़ जमा होती थी। और मै भी मंदिर के बाहर ही खड़ा रहता था। दर्शन के नही भाई प्रसाद के इन्तजार में। मुझे पता था हर मंदिर में एक आदमी ऐसा आता ही था जो प्रसाद चढाता ही था। और उनके आने का टाइम भी फिक्स था। सोमवार को चढ़ाये प्रसाद में केला मिलता था। बुधवार को लडडू और एक फल मिलता था । और रविवार को  मिठाई मिलती थी और वो भी गरमा गरम इमरती। साथ मे नारियल चटक। सोमवार और रविवार को तो प्रसाद मिलने में ज्यादा टाइम ना लगता लेकिन बुधवार को बडा कष्ट होता क्योंकि बुधवार वाला भक्त चढाता तो खाली एक लडडू और फल था। लेकिन पूजा और मन्त्र में एक घंटे का समय लगाता। और उस एक घंटे के  इन्तजार में दो चार और प्रसाद के मेरे जैसे भूखे इकटठे हो जाते। और मुह ताकते की कब वो जाए और हम प्रसाद पर